Advanced search

بدون دسته بندی

درباره ما

रविवार, 26 अगस्त 2018

 

قال اللَّه الحكيم: «فاسئلوا اهل الذكر ان كنتم لاتعلمون»، «از اهل ذكر (و عالمان دينى) بپرسيد، اگر نمى‏دانيد»، سوره نحل، آيه 43 و سوره انبيا، آيه 7.

 شاخص‏ترين ويژگى حيات انسانى، انديشه و تفكر و معرفت اوست. آدمى در سير تكامل عقلانى و پويش مستمر خود همواره در جستجو و با پرسش‏هاى تازه‏اى روبرو است.

 

كسى كه براي او پرسشي مطرح نيست، معرفتى برايش حاصل نیست. پرسش‏هاى فراروى تفكر دينى از گستره‏ى بسيار وسيعى برخوردار است.

 

 

مؤسسه فرهنگى رواق حكمت با اين انگيزه شكل گرفت تا بتواند بخشى از نيازهاى مبرم و اقناع نشده ی فرهنگى، پژوهشى و آموزشى را در حوزه‏ى انديشه‏ى دينى برآورده سازد و هرگز محدوديت امكانات مانع ادامه‏ى فعاليت‏هاى آن نشده، هرچند از سرعت و گسترش آن كاسته است.

 

 

از اينرو خانه رايانه که در این موسسه به فعالیت در حوزه ی فناوری اطلاعات اختصاص دارد، کار خود را با پاسخگوئى به پرسش های دینی و ايجاد سايت آغاز کرد.

 

 

مرحله اول در سال 1381 با پاسخ گوئی به سؤالات کلامی و فلسفی كه از طريق سايت تبيان براى مؤسسه رواق حكمت ارسال و يا به سايت www.hadavi.info واصل مى‏شد، شروع شد.

 

 

على رغم تلاش‏هاى زياد از سوی مراكز مختلف، نه تنها ضرورت فعاليت در زمينه پاسخ گوئى به سؤالات و شبهات دينى همچنان وجود دارد، بلكه با گسترش و پيشرفت رسانه‏هاى ارتباطى، نياز به وجود مركزى كه صرفاً به پاسخ گوئى به سؤالات و شبهات بپردازد، افزون تر شده است و مى‏بايست پاسخ‏ها به گونه‏اى باشد كه بتوان آن را نظر و پاسخ اسلام شمرد.

 

 

از اينرو، خانه رایانه در مرحله دوم فعاليت خود در سال پيامبر اعظم (صلى الله عليه وآله) اقدام به راه اندازى سايت اسلام كوئست به سه زبان فارسى، انگليسى و عربى به آدرس www.IslamQuest.net کرد كه از هفدهم ربيع الاول 1427هـ .ق برابر با 27/1/1385هـ .ش، همزمان با ولادت با سعادت پيامبر گرامى اسلام (صلى الله عليه وآله) رسماً شروع به فعاليت نموده است.

 

 

شیوه پاسخگویی

سؤالات و شبهاتی که توسط محققین پاسخ گویی می شود از مجموع سؤالات پرسشگران سایت اسلام کوئست و یا سؤالاتی که از اولویت خاصی در داخل و یا خارج کشور برخوردار بوده و این اولویت توسط مدیران و کارشناسان بخش فارسی، عربی و انگلیسی مشخص و مورد تأیید نهایی مدیران محترم بخش تحقیقات و خانه رایانه و ریاست محترم مؤسسه فرهنگی رواق حکمت قرار می گیرد، تشکیل می گردد.

 

با توجه به اطلاعات ارائه شده توسط پرسشگران و مخاطب شناسی انجام شده، پاسخ سؤالات بعد از تهیه پاسخ نهایی و تأیید مدیران مربوط برای سؤال کننده ارسال گردیده و در گنجینه سؤال و پاسخ سایت قرار می گیرد.

 

پاسخ گوئی به سؤالات به شیوه های مختلف انجام می پذیرد: در سؤالات دریافتی از سایت، اگر سؤال اولیه کاربر مشتمل بر بیش از یک سؤال باشد، در صورت ضرورت، بعد از تفکیک آن به سؤالات متعدد، پاسخ آنها تهیه و ارسال می گردد. و چنانچه پرسش سؤال کننده پیرامون موضوع واحدی باشد، اقدام به پاسخ گوئی به همان سؤال می شود. از سوی دیگر، پاسخ سؤالات، حسب مورد به صورت اجمالی و تفصیلی و یا پاسخ واحد برای استفاده سؤال کننده ارسال و از نظرات او در مورد پاسخ استفاده می گردد.

 

تلاش مؤسسه در پاسخ گوئی همیشه در این راستا بوده است که پاسخ های محققین تا حد امکان از جامعیت و مستوائی از اعتبار علمی برخوردار باشد که بتوان آن را نظر و پاسخ اسلام شمرد.

थीमैटिक श्रेणी

Random questions

  • अल्लाह ने इतने ज़्यादा नबियों को क्यों भेजा है?
    3693 Philosophy of Religion 2019/06/16
    अल्लाह का अपने बन्दों पर एक एहसान यह रहा है कि किसी भी ज़माने को रहनुमा और नबी के बग़ैर नहीं छोड़ा और पैग़म्बरों के भेजे जाने का सिलसिला किसी ज़माने में नहीं रुका और ज़मीन अल्लाह के नुमाइंदे और उसके दूत से कभी ख़ाली नहीं रही. ...
  • ईमान क्या है?
    5271 مراتب توحید 2018/05/27
    आध्यात्मिक विषयों से गहरे लगाओ को ईमान कहते हैं जो इन्सान के समीप बहुत पवित्र और मुक़द्दस होते हैं, और इन्सान उनके लिए अपनी मोहब्बत और बहादुरी दिखाने को तय्यार रहता है. क़ुरआन में ईमान के दो पंख बताये गये हैं:इल्म(ज्ञान) और अमल(कर्म)). ...
  • इन्सान की सफ़लता और उसका कमाल किस चीज़ में है .
    4247 عرفان و اخلاق 2018/05/27
    इस सवाल के व्यापक और तफ़सीली जवाब के लिए पहले दो बुनयादी सवालों का जवाब देना ज़रूरी है,. १. सआदत के मानी क्या हैं और क्या सआदत, कमाल से अलग है? २. इन्सान किस तरह का प्राणी है...?ऐसा मालूम पड़ता है कि कमाल, सआदत ...
  • शिया मज़हब सबसे अच्छा क्यों है?
    3878 شیعه و دیگر مذاهب 2019/06/16
    शिया मज़हब की बरतरी और श्रेष्ठता उसके हक़ और सच्चे होने की वजह से है. और सच्चा और सही दीन हर ज़माने में एक ही रहा है और दुसरे धर्म या तो सिरे से ही बातिल(झूठे) और बेबुनियाद हैं या अमान्य और मनसूख़ हो चुके हैं और ...
  • क्या दुसरे धर्मों द्वारा इन्सान कमाल और उत्तमता तक पहुँच सकता है? और तौहीद तक कैसे पहुंचा जासकता है ?
    4596 پیامبران و کتابهای آسمانی 2019/06/16
    मौजूदा धर्मों में अगरचे थोड़ी बहुत सच्चाई दिखाई देती है लेकिन सच्चाई का सम्पूर्ण रूप यानि तौहीद अपने सही माना में इस्लाम में ही दिखाई देती है. इस बात की सब सी बड़ी दलील व प्रमाण यह है कि इन धर्मों की कोई मोतबर व मान्य सनद ...

Popular

  • ईमान क्या है?
    5271 مراتب توحید 2018/05/27
    आध्यात्मिक विषयों से गहरे लगाओ को ईमान कहते हैं जो इन्सान के समीप बहुत पवित्र और मुक़द्दस होते हैं, और इन्सान उनके लिए अपनी मोहब्बत और बहादुरी दिखाने को तय्यार रहता है. क़ुरआन में ईमान के दो पंख बताये गये हैं:इल्म(ज्ञान) और अमल(कर्म)). ...
  • क्या दुसरे धर्मों द्वारा इन्सान कमाल और उत्तमता तक पहुँच सकता है? और तौहीद तक कैसे पहुंचा जासकता है ?
    4596 پیامبران و کتابهای آسمانی 2019/06/16
    मौजूदा धर्मों में अगरचे थोड़ी बहुत सच्चाई दिखाई देती है लेकिन सच्चाई का सम्पूर्ण रूप यानि तौहीद अपने सही माना में इस्लाम में ही दिखाई देती है. इस बात की सब सी बड़ी दलील व प्रमाण यह है कि इन धर्मों की कोई मोतबर व मान्य सनद ...
  • इन्सान की सफ़लता और उसका कमाल किस चीज़ में है .
    4247 عرفان و اخلاق 2018/05/27
    इस सवाल के व्यापक और तफ़सीली जवाब के लिए पहले दो बुनयादी सवालों का जवाब देना ज़रूरी है,. १. सआदत के मानी क्या हैं और क्या सआदत, कमाल से अलग है? २. इन्सान किस तरह का प्राणी है...?ऐसा मालूम पड़ता है कि कमाल, सआदत ...
  • शिया मज़हब सबसे अच्छा क्यों है?
    3878 شیعه و دیگر مذاهب 2019/06/16
    शिया मज़हब की बरतरी और श्रेष्ठता उसके हक़ और सच्चे होने की वजह से है. और सच्चा और सही दीन हर ज़माने में एक ही रहा है और दुसरे धर्म या तो सिरे से ही बातिल(झूठे) और बेबुनियाद हैं या अमान्य और मनसूख़ हो चुके हैं और ...
  • अल्लाह ने इतने ज़्यादा नबियों को क्यों भेजा है?
    3693 Philosophy of Religion 2019/06/16
    अल्लाह का अपने बन्दों पर एक एहसान यह रहा है कि किसी भी ज़माने को रहनुमा और नबी के बग़ैर नहीं छोड़ा और पैग़म्बरों के भेजे जाने का सिलसिला किसी ज़माने में नहीं रुका और ज़मीन अल्लाह के नुमाइंदे और उसके दूत से कभी ख़ाली नहीं रही. ...